मंगलवार, 24 दिसंबर 2024

आ लौट के आजा हनुमान तुम्हे श्री राम बुलाते है|| Lakshmanke bacha le pran

इस गीत के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान हनुमान की महिमा: इसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है।
2. भगवान हनुमान की भक्ति: इसमें भगवान हनुमान की भक्ति और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है।
3. भगवान राम की प्रार्थना: इसमें भगवान राम की प्रार्थना और भगवान हनुमान से अनुरोध का वर्णन किया गया है।
4. भगवान हनुमान की महिमा: इसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है


आ लौट के आजा हनुमान तुम्हे श्री राम बुलाते है

लक्ष्मण के बचा ले तू प्राण
तुम्हे श्री राम बुलाते है
आ लौट के आजा हनुमान
तुम्हे श्री राम बुलाते है

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन करता है। इसमें भगवान हनुमान से अनुरोध किया गया है कि वे लौटकर आएं और लक्ष्मण के प्राण बचाएं।

गए पवन सूत लाने संजीवन
अब तक क्यों नही आये
सेनापति सुग्रीव पुकारे
नर बानर घबराये
सब लोग भये सुनसान
तुम्हे श्री राम बुलाते है
आ लौट के आजा हनुमान
तुम्हे श्री राम बुलाते है

कभी तडपते कभी बिलखते
जीभर के प्रभु रोते
आये लखन तुम
अपनी माँ के हो इकलौते बेटे
यु रुदन करत है महान
तुम्हे श्री राम बुलाते है
आ लौट के आजा हनुमान
तुम्हे श्री राम बुलाते है

बीत गयी सब रैन
घडी रही ना एक पल भी बाकि
देख देख के राह तुम्हारी
बैरन अंखिया तांकि
कहि उदय ना हो जाये घात
तुम्हे श्री राम बुलाते है
आ लौट के आजा हनुमान
तुम्हे श्री राम बुलाते है

रात समय हनुमान संजीवन
ले सेना में आये झूमर लाली
धन्य बजरंगी लक्ष्मण प्राण बचाए
तब जाग उठे बलवान
तुम्हे श्री राम बुलाते है
आ लौट के आजा हनुमान
तुम्हे श्री राम बुलाते है

आ लौट के आजा हनुमान
तुम्हे श्री राम बुलाते है
लक्ष्मण के बचा ले तू प्राण
तुम्हे श्री राम बुलाते है
आ लौट के आजा हनुमान
तुम्हे श्री राम बुलाते है




भावार्थ -  

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन करता है। इसमें भगवान हनुमान से अनुरोध किया गया है कि वे लौटकर आएं और लक्ष्मण के प्राण बचाएं।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान हनुमान गए थे पवन सूत लाने संजीवन, लेकिन अब तक वे नहीं आए हैं। इसमें भगवान हनुमान से अनुरोध किया गया है कि वे जल्दी लौटकर आएं और लक्ष्मण के प्राण बचाएं।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान राम लक्ष्मण के लिए रोते हैं और भगवान हनुमान से अनुरोध करते हैं कि वे लौटकर आएं और लक्ष्मण के प्राण बचाएं। इसमें भगवान हनुमान की भक्ति और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान हनुमान ने संजीवन लेकर लक्ष्मण के प्राण बचाए और भगवान राम की प्रार्थना पूरी हुई। इसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है।

इस गीत के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान हनुमान की महिमा: इसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है।
2. भगवान हनुमान की भक्ति: इसमें भगवान हनुमान की भक्ति और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है।
3. भगवान राम की प्रार्थना: इसमें भगवान राम की प्रार्थना और भगवान हनुमान से अनुरोध का वर्णन किया गया है।
4. भगवान हनुमान की महिमा: इसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है
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सोमवार, 23 दिसंबर 2024

भक्ति के रंग में रंगे, हनुमान नज़र आये||फ़िल्मी तर्ज - आये हो मेरी जिंदगी में तुम बहार बनके ||Hanuman Bhajan

 




इस भजन  के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान हनुमान की महिमा: इसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है।
2. भगवान हनुमान की वीरता: इसमें भगवान हनुमान की वीरता और उनकी भक्ति के कारण उन्हें सियाराम के दर्शन होने का वर्णन किया गया है।
3. भगवान हनुमान की मित्रता: इसमें भगवान हनुमान की मित्रता और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है।
4. भगवान हनुमान की भक्ति: इसमें भगवान हनुमान की भक्ति और उनकी वीरता का वर्णन किया गया है
  

भक्ति के रंग में रंगे, हनुमान नज़र आये
चीर दिया सीना... सियाराम नजर आए
भक्ति के रंग में रंगे, हनुमान नज़र आये
रावण के बोल तीखे, हनुमत को नही भाए
चीर दिया सीना... सियाराम नजर आए
भक्ति के रंग में रंगे, हनुमान नज़र आये

सुग्रीव के संग वन में, हनुमान जी मिले थे
यारी के फूल मन मे, यही से ही खिले थे
बने पक्के यार दोनों... दुनिया मे अमर पाए
चीर दिया सीना... सियाराम नजर आए
भक्ति के रंग में रंगे, हनुमान नज़र आये

रावण के वश से सींता,हनुमान छुड़ा लाये
लक्ष्मण को लगी शक्ति.श्री राम जी घबराए
वो पहाड़ उठा लाये भक्त वीर कहलाये
चीर दिया सीना... सियाराम नजर आए
भक्ति के रंग में रंगे, हनुमान नज़र आये

भावार्थ 

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन करता है। इसमें भगवान हनुमान की वीरता और उनकी भक्ति के कारण उन्हें सियाराम के दर्शन होने का वर्णन किया गया है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान हनुमान ने रावण के बोलों को नहीं सहा और अपना सीना चीर दिया, जिससे सियाराम उनके सामने प्रकट हुए। इसमें भगवान हनुमान की वीरता और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान हनुमान ने सुग्रीव के साथ वन में मिलकर यारी के फूल खिलाए और दोनों पक्के यार बन गए। इसमें भगवान हनुमान की मित्रता और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान हनुमान ने रावण के वश से सीता को छुड़ा लाया और लक्ष्मण को शक्ति लगी, जिससे भगवान राम घबरा गए और भगवान हनुमान ने पहाड़ उठा लाया। इसमें भगवान हनुमान की वीरता और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है।
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भोले के हाथों में, है भक्तो की डोर || Bhole ke hath me he bhakton ki dor


इस भजन के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान शिव की महिमा: इसमें भगवान शिव की महिमा और उनके प्रति भक्ति का वर्णन किया गया है।
2. भगवान शिव की कृपा: इसमें भगवान शिव की कृपा और उनके प्रति समर्पण का वर्णन किया गया है।
3. भगवान शिव के प्रति भक्ति: इसमें भगवान शिव के प्रति भक्ति करने से जीवन के गम और दुःख कम हो जाते हैं।
4. भगवान शिव की डोरी: इसमें भगवान शिव की डोरी से बंधकर हमें मुसीबत से निकाला जाता है और हमें उनकी कृपा पर भरोसा रखना चाहिए।

भोले के हाथों में, है भक्तो की डोर,

किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर,

भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर......


मर्जी है इसकी हमको, जैसे नचाए,
जितनी जरुरत उतना, जोर लगाए,
ये चाहे जितनी खींचे, हम काहे मचाए शोर,
किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर.....

भोले तुम्हारे जब से, हम हो गए है,
गम जिंदगानी के, कम हो गए है,
बंधकर तेरी डोरी से, हम नाचे जैसे मोर,
किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर.....

खिंच खिंच डोरी जो, संभाला ना होता,
हमको मुसीबत से, निकाला ना होता,
ये चाहे जितना खींचे, हम खींचते इसकी ओर,
किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर.....

दास का टूटे कैसे, भक्तो से नाता,
डोर से बंधा है तेरे, प्रेमी का धागा,
तू रख इसपे भरोसा, ये डोर नहीं कमजोर,
किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर......
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 भावार्थ-  

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान शिव की महिमा और उनके प्रति भक्ति का वर्णन करता है। इसमें भगवान शिव को भोले कहा गया है और उनके हाथों में भक्तों की डोरी का वर्णन किया गया है।
गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव की मर्जी है कि वे भक्तों को कैसे नचाएं, और वे जितनी जरूरत होती है, उतना जोर लगाते हैं। इसमें भगवान शिव की कृपा और उनके प्रति समर्पण का वर्णन किया गया है।
गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव के प्रति भक्ति करने से जीवन के गम और दुःख कम हो जाते हैं, और भगवान शिव की डोरी से बंधकर हम उनके प्रेम में नाचते हैं। इसमें भगवान शिव की महिमा और उनके प्रति प्रेम का वर्णन किया गया है।
गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव की डोरी से बंधकर हमें मुसीबत से निकाला जाता है, और हमें उनकी कृपा पर भरोसा रखना चाहिए। इसमें भगवान शिव की कृपा और उनके प्रति समर्पण का वर्णन किया गया है।
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मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे भजन ||फ़िल्मी तर्ज - जिये तो जिये कैसे बिन आपके||Mere sanware tere bin

 

मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे भजन 



इस भजन  के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान कृष्ण की महिमा: इसमें भगवान कृष्ण की महिमा और उनके प्रति प्रेम का वर्णन किया गया है।
2. भगवान कृष्ण की अनुपस्थिति: इसमें भगवान कृष्ण की अनुपस्थिति में जीवन की कठिनाइयों का वर्णन किया गया है।
3. भगवान कृष्ण की प्रीत और मित्रता: इसमें भगवान कृष्ण की प्रीत और मित्रता के महत्व का वर्णन किया गया है।
4. भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण: इसमें भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण और उनके हृदय में बसने की अनुरोध की जा रही है

मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे
राह निहारे ये नयन,जी ना लगे

तुम्ही मेरी प्रीत कान्हा,तुम्ही मेरे मीत हो
तुम्ही मेरे दिल की सरगम,तुम्ही मेरे गीत हो
जीवन की सांसें बनी हैं बावरिया
आके सुनाजा इनको बाँसुरिया
मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे

रूखा लगे,बिना तेरे अब तो श्याम ये जीवन
हरपल तड़पता है दिल कब होगा ये मिलन
दे दी सज़ा,कैसी मुझे
चांद सितारे भी ,फीके लगे
मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे

एक वारि आजाओ तो हृदय में बिठाऊंगी
भावना से तुझको अपनी रूह में बसाउंगी
मेरा ये जीवन है बस तेरा

समर्पित है तुझको सब कुछ मेरा
मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे

मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे
राह निहारे ये नयन,जी ना लगे

भावार्थ-

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान कृष्ण की महिमा और उनके प्रति प्रेम का वर्णन करता है। इसमें भगवान कृष्ण को साँवरे कहा गया है और उनकी अनुपस्थिति में जीवन की कठिनाइयों का वर्णन किया गया है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान कृष्ण के बिना जीवन अधूरा है और उनकी प्रीत और मित्रता के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है। इसमें भगवान कृष्ण को दिल की सरगम और गीत कहा गया है, जो जीवन को अर्थपूर्ण बनाते हैं।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान कृष्ण की अनुपस्थिति में जीवन रूखा और अधूरा है, और उनके बिना जीवन की सांसें बावरिया हो जाती हैं। इसमें भगवान कृष्ण से अनुरोध किया गया है कि वे आकर अपनी बाँसुरिया से जीवन को अर्थपूर्ण बनाएं।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान कृष्ण के बिना जीवन की कोई खुशी नहीं है, और उनकी अनुपस्थिति में जीवन की सारी चीजें फीकी लगती हैं। इसमें भगवान कृष्ण से अनुरोध किया गया है कि वे आकर अपने प्रेमी को अपने हृदय में बसाएं और उनका जीवन समर्पित करें।



बोल बम बम प्यारे बोल बम बम ||Baba Mahakal sare har lenge gum



इस भजन के मुख्य भावार्थ हैं:


1. भगवान शिव और भगवान गणेश की महिमा: इसमें भगवान शिव और भगवान गणेश की महिमा और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है।
2. भगवान शिव और भगवान गणेश की कृपा: इसमें भगवान शिव और भगवान गणेश की कृपा की अनुरोध की जा रही है।
3. भगवान शिव की महिमा: इसमें भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है और उनकी कृपा की अनुरोध की जा रही है।
4. भगवान गणेश की महिमा: इसमें भगवान गणेश की महिमा का वर्णन किया गया है और उनकी कृपा की अनुरोध की जा रही है

बोल बम बम प्यारे बोल बम बम
बम बम बम बम बम बम बम बम,
जिंदगी में कुछ भी रहेगा नही गम,
बोल बम बम प्यारे बोल बम बम ॥
बड़े ही दयालु भोले कष्ट हर लेते है,
धन और माल से खजाना भर देते है,
चाहे बोलो हर हर चाहे बम बम,
बोल बम बम प्यारे बोल बम बम ॥
मेरे महांकाल की तो दुनिया दीवानी है,
भगतो को वर देते बड़े वरदानी है,
बाबा महाकाल सारे हर लेंगे गम,
बोल बम बम प्यारे बोल बम बम ॥
दास गणेश तेरे चरणों का दीवाना है,
भोले तेरे नाम का सहारा मुझे पाना है,
हर पल हर छण जपूँ बम बम,
बोल बम बम प्यारे बोल बम बम ॥

भावार्थ -

भावार्थ -

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान शिव और भगवान गणेश की महिमा और उनकी कृपा का वर्णन करता है। इसमें भगवान शिव और भगवान गणेश को पुकारा जा रहा है और उनकी कृपा की अनुरोध की जा रही है।


गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव और भगवान गणेश बड़े दयालु और भोले हैं, और वे हमारे कष्टों को हर लेते हैं और हमें धन और माल से भर देते हैं। इसमें भगवान शिव और भगवान गणेश की महिमा का वर्णन किया गया है और उनकी कृपा की अनुरोध की जा रही है।


गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव को महांकाल कहा जाता है और वे भगतों को वर देते हैं और बड़े वरदानी हैं। इसमें भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है और उनकी कृपा की अनुरोध की जा रही है।


गीत में आगे कहा गया है कि भगवान गणेश के चरणों का दीवाना है और उनके नाम का सहारा पाना चाहता है। इसमें भगवान गणेश की महिमा का वर्णन किया गया है और उनकी कृपा की अनुरोध की जा रही है।




मूषक सवारी लेके आना गणराजा ||फ़िल्मी तर्ज – कौन दिशा में ले के चला ||Mushak Sawari leke aana ganraja



मूषक सवारी लेके आना गणराजा 




इस भजन  के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान गणेश की महिमा: इसमें भगवान गणेश की महिमा और उनके आगमन का स्वागत किया गया है।
2. भगवान गणेश की पूजा: इसमें भगवान गणेश की पूजा और भोग लगाने का वर्णन किया गया है।
3. भगवान गणेश की कृपा: इसमें भगवान गणेश की कृपा और उनके द्वारा सुख और दुःख को हराने का वर्णन किया गया है।
4. भगवान गणेश के साथ जुड़ना: इसमें भगवान गणेश के साथ जुड़ने और उनके चरणों में ठिकाना बनाने का वर्णन किया गया है

मूषक सवारी ले के,
आना गणराजा,
रिद्धि सिद्धि को ले आना,
आके भोग लगाना,
मेरे आंगन में, आंगन में,
मुषक सवारी लेके,
आना गणराजा ॥

लाल सिंदूर का टिका लगा के,
पान और फूल चड़ाउ,
मोदक लडूवन से भर थाली,
तुम को भोग लगाउ,
देख तुम्हारी महिमा निराली,
गाउं बारम्बार हो,
कारज मेरे सब,
शुभ कर जाना,
रिद्धि सिद्धि को ले आना,
आके भोग लगाना,
मेरे आंगन में, आंगन में,
मुषक सवारी लेके,
आना गणराजा ॥

सुख करता तुम,
दुःख के हरता,
सबके प्यारे गणेश हो,
प्यार दुलार हमेशा रहे प्रभु,
ना हो कोई कलेश हो,
सब की नैया पार किये हो,
मुझको भी दो तार,
चरणों में तेरे प्रभु मेरा ठिकाना,
रिद्धि सिद्धि को ले आना,
आके भोग लगाना,
मेरे आंगन में, आंगन में,
मुषक सवारी लेके,
आना गणराजा ॥


मूषक सवारी लेके,
आना गणराजा,
रिद्धि सिद्धि को ले आना,
आके भोग लगाना,
मेरे आंगन में, आंगन में,
मुषक सवारी लेके,
आना गणराजा ॥

भावार्थ-

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान गणेश की महिमा और उनके आगमन का स्वागत करता है। इसमें भगवान गणेश को मूषक सवारी पर आने के लिए आमंत्रित किया गया है और उन्हें रिद्धि-सिद्धि के साथ आने के लिए कहा गया है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान गणेश को लाल सिंदूर का टिका लगाकर, पान और फूल चढ़ाकर, और मोदक लडूवन से भरे थाली से भोग लगाया जाएगा। इसमें भगवान गणेश की महिमा का वर्णन किया गया है और उन्हें सबके प्यारे गणेश कहा गया है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान गणेश सुख करते हैं, दुःख को हरते हैं, और सबके प्यारे हैं। इसमें भगवान गणेश से अनुरोध किया गया है कि वे हमेशा प्यार और दुलार से हमारे साथ रहें और हमारे जीवन में कोई कलेश न हो।


आ लौट के आजा हनुमान तुम्हे श्री राम बुलाते है|| Lakshmanke bacha le pran

इस गीत के मुख्य भावार्थ हैं: 1. भगवान हनुमान की महिमा: इसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है। 2. भगवान हनुमान की भक...