इस भजन के मुख्य भावार्थ हैं:
1. भगवान शिव की महिमा: इसमें भगवान शिव की महिमा और उनके प्रति भक्ति का वर्णन किया गया है।
2. भगवान शिव की कृपा: इसमें भगवान शिव की कृपा और उनके प्रति समर्पण का वर्णन किया गया है।
3. भगवान शिव के प्रति भक्ति: इसमें भगवान शिव के प्रति भक्ति करने से जीवन के गम और दुःख कम हो जाते हैं।
4. भगवान शिव की डोरी: इसमें भगवान शिव की डोरी से बंधकर हमें मुसीबत से निकाला जाता है और हमें उनकी कृपा पर भरोसा रखना चाहिए।
भोले के हाथों में, है भक्तो की डोर,
किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर......
मर्जी है इसकी हमको, जैसे नचाए,
जितनी जरुरत उतना, जोर लगाए,
ये चाहे जितनी खींचे, हम काहे मचाए शोर,
किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर.....
भोले तुम्हारे जब से, हम हो गए है,
गम जिंदगानी के, कम हो गए है,
बंधकर तेरी डोरी से, हम नाचे जैसे मोर,
किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर.....
खिंच खिंच डोरी जो, संभाला ना होता,
हमको मुसीबत से, निकाला ना होता,
ये चाहे जितना खींचे, हम खींचते इसकी ओर,
किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर.....
दास का टूटे कैसे, भक्तो से नाता,
डोर से बंधा है तेरे, प्रेमी का धागा,
तू रख इसपे भरोसा, ये डोर नहीं कमजोर,
किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर.......
भावार्थ-
गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव की मर्जी है कि वे भक्तों को कैसे नचाएं, और वे जितनी जरूरत होती है, उतना जोर लगाते हैं। इसमें भगवान शिव की कृपा और उनके प्रति समर्पण का वर्णन किया गया है।
गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव के प्रति भक्ति करने से जीवन के गम और दुःख कम हो जाते हैं, और भगवान शिव की डोरी से बंधकर हम उनके प्रेम में नाचते हैं। इसमें भगवान शिव की महिमा और उनके प्रति प्रेम का वर्णन किया गया है।
गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव की डोरी से बंधकर हमें मुसीबत से निकाला जाता है, और हमें उनकी कृपा पर भरोसा रखना चाहिए। इसमें भगवान शिव की कृपा और उनके प्रति समर्पण का वर्णन किया गया है।
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