रविवार, 15 दिसंबर 2024

जय जय पितरजी महाराज थारी बोलां जय जयकार|Jay Jay pitaraji Maharaj |(तर्ज : लेके पहला पहला प्यार)

 जय जय पितरजी महाराज, थारी बोलां जय जयकार,



मन से ध्यावां मनावां, म्हारो करदो बेड़ा पार ।।

नित उठ थारो देवा, ध्यान लगावां,
लाड़ लड़ावां थानै, हाल सुनावां,
सुणज्यो म्हारी थे पुकार, टाबर बैठ्या भुजा पसार ।। १ ।।

बेगा सम्भालो आओ, देर ना लगावो,
बाट निहारां थारी, दरश दिखाओ,
म्हाने थारो ही आधार, थारै बिन कुण खेवनहार ।।२।।

देव हो दयालु थे तो, बड़ा दिलवाला,
आस लगाकर बैठ्या, बणो रखवाला,
दास ने थारी है दरकार, सूंपी थानै या पतवार ।।३।।

भावार्थ-

यह भजन भगवान शिव की महिमा और उनके पितरों की पूजा को व्यक्त करता है। इसमें भगवान शिव को पितरजी महाराज कहा गया है, जो कि उनके पितरों के प्रति उनकी भक्ति और समर्पण को दर्शाता है।

भजन में आगे कहा गया है कि भगवान शिव की बोलां (वाणी) की जय जयकार की जाती है, जो कि उनकी महिमा और शक्ति को दर्शाता है। इसमें भगवान शिव की पूजा और आराधना की भावना को व्यक्त किया गया है।

इस भजन के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान शिव की महिमा: इसमें भगवान शिव की महिमा और उनके पितरों की पूजा को व्यक्त किया गया है।

2. पितरों की पूजा: इसमें भगवान शिव के पितरों की पूजा और आराधना की भावना को व्यक्त किया गया है।

3. भक्ति और समर्पण: इसमें भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना को व्यक्त किया गया है।

4. आध्यात्मिक शांति: इसमें कहा गया है कि भगवान शिव की पूजा और आराधना से आध्यात्मिक शांति और सुकून प्राप्त होता है।

इस प्रकार, यह भजन भगवान शिव की महिमा और उनके पितरों की पूजा को व्यक्त करता है, जिसमें भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना को दर्शाया गया है

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