जय जय पितरजी महाराज, थारी बोलां जय जयकार,
(तर्ज : लेके पहला पहला प्यार)
मन से ध्यावां मनावां, म्हारो करदो बेड़ा पार ।।
नित उठ थारो देवा, ध्यान लगावां,
लाड़ लड़ावां थानै, हाल सुनावां,
सुणज्यो म्हारी थे पुकार, टाबर बैठ्या भुजा पसार ।। १ ।।
बेगा सम्भालो आओ, देर ना लगावो,
बाट निहारां थारी, दरश दिखाओ,
म्हाने थारो ही आधार, थारै बिन कुण खेवनहार ।।२।।
देव हो दयालु थे तो, बड़ा दिलवाला,
आस लगाकर बैठ्या, बणो रखवाला,
दास ने थारी है दरकार, सूंपी थानै या पतवार ।।३।।
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