जो होगा देखा जाएगा,
तुम्हे अपने बना बैठे,
जो होगा देखा जाएगा।।
कभी दुनिया से डरते थे,
छुप छुप याद करते थे,
लो अब परदा उठा बैठे,
जो होगा देखा जाएगा।
लगन तुमसे लगा बैठें,
जो होगा देखा जाएगा,
तुम्हे अपने बना बैठे,
जो होगा देखा जाएगा।।
कभी यह ख्याल था दुनिया,
हमें बदनाम कर देगी,
शर्म अब बेच खा बैठे,
जो होगा देखा जाएगा।
लगन तुमसे लगा बैठें,
जो होगा देखा जाएगा,
तुम्हे अपने बना बैठे,
जो होगा देखा जाएगा।।
दीवाने बन गए तेरे तो फिर,
दुनिया से क्या मतलब,
तेरी गलियो में आ बैठे,
जो होगा देखा जाएगा।
लगन तुमसे लगा बैठें,
जो होगा देखा जाएगा,
तुम्हे अपने बना बैठे,
जो होगा देखा जाएगा।।
लगन तुमसे लगा बैठे,
जो होगा देखा जाएगा,
तुम्हे अपने बना बैठे,
जो होगा देखा जाएगा।।
समीक्षा -
यह भजन प्रेम और समर्पण की भावना को व्यक्त करता है, जिसमें व्यक्ति अपने प्रिय के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को दर्शाता है।
भजन में आगे कहा गया है कि व्यक्ति अपने प्रिय के साथ जुड़ गया है और अब वह दुनिया की परवाह नहीं करता है। वह अपने प्रिय के चरणों में बैठ गया है और अब वह जो होगा देखा जाएगा।
इस भजन के मुख्य भावार्थ हैं:
1. प्रेम और समर्पण: इसमें प्रेम और समर्पण की भावना को व्यक्त किया गया है।
2. दुनिया से परहेज: इसमें कहा गया है कि व्यक्ति दुनिया की परवाह नहीं करता है और अपने प्रिय के चरणों में बैठ गया है।
3. भक्ति और समर्पण: इसमें भक्ति और समर्पण की भावना को व्यक्त किया गया है।
4. आध्यात्मिक शांति: इसमें कहा गया है कि व्यक्ति अपने प्रिय के चरणों में बैठकर आध्यात्मिक शांति और सुकून प्राप्त करता है।
इस प्रकार, यह भजन प्रेम और समर्पण की भावना को व्यक्त करता है, जिसमें व्यक्ति अपने प्रिय के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को दर्शाता है
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