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बुधवार, 18 दिसंबर 2024

वतन के सिवा कुछ ना चाहत करेंगे|| Vatan ke sivaa kuch na chahat karenge

यह गीत देशभक्ति और शहीदों के बलिदान की भावना को व्यक्त करता है। गीत में कहा गया है कि वतन के सिवा कुछ नहीं चाहिए, और जब तक जिएंगे वतन पे मरेंगे। यह गीत अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देता है, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर किए हैं।
गीत में आगे कहा गया है कि शहीदों के बलिदान पर गर्व से भरा है सीना, और आंखें नम हैं। यह गीत देश के लिए मरने वालों की बहादुरी और समर्पण को सलाम करता है।
गीत के अंत में कहा गया है कि सभी देशवासी शहीदों के साथ हैं, और उनके एहसान को कभी नहीं भूलेंगे। यह गीत देशभक्ति और शहीदों के प्रति सम्मान की भावना को जगाता है



वतन के सिवा कुछ ना चाहत करेंगे


कि जब तक जिएंगे वतन पे मरेंगे

ओ अमर शहीद मेरी सांसो में हो तुम

ओ अमर शहीद मेरे ख्वाबो में हो तुम

तेरे बलिदान पे तो बोल मेरे हैं कम

गर्व से भरा है सींना आंख मेरी हैं नम

देश का हर इक इक.. इंसां कहेंगे

कि जब तक जिएंगे वतन पे मरेंगे

ऊंचा तिरंगा तेरा स्थान रहेगा

दुनिया मे भारत का नाम रहेगा

माँ पिता भाई बहना का मान रहेगा

पत्नी के दिल मे भी अभिमान रहेगा

भगतसिंह सुभाष मरके..ज़िंदा रहेंगे

कि जब तक जिएंगे वतन पे मरेंगे

सभी देशवासी हैं हां साथ तेरे

भूलेंगे ना हम एहसान तेरे

करू मैं गुजारिश सुनो भाई बहना

शहीदों के घर को रक्खो,जैसे हो गहना

ये वादा किया तो वो.. जोश से लड़ेंगे

कि जब तक जिएंगे वतन पे मरेंगे

आ लौट के आजा हनुमान तुम्हे श्री राम बुलाते है|| Lakshmanke bacha le pran

इस गीत के मुख्य भावार्थ हैं: 1. भगवान हनुमान की महिमा: इसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है। 2. भगवान हनुमान की भक...