मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे भजन
इस भजन के मुख्य भावार्थ हैं:
1. भगवान कृष्ण की महिमा: इसमें भगवान कृष्ण की महिमा और उनके प्रति प्रेम का वर्णन किया गया है।
2. भगवान कृष्ण की अनुपस्थिति: इसमें भगवान कृष्ण की अनुपस्थिति में जीवन की कठिनाइयों का वर्णन किया गया है।
3. भगवान कृष्ण की प्रीत और मित्रता: इसमें भगवान कृष्ण की प्रीत और मित्रता के महत्व का वर्णन किया गया है।
4. भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण: इसमें भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण और उनके हृदय में बसने की अनुरोध की जा रही है
राह निहारे ये नयन,जी ना लगे
तुम्ही मेरी प्रीत कान्हा,तुम्ही मेरे मीत हो
तुम्ही मेरे दिल की सरगम,तुम्ही मेरे गीत हो
जीवन की सांसें बनी हैं बावरिया
आके सुनाजा इनको बाँसुरिया
मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे
रूखा लगे,बिना तेरे अब तो श्याम ये जीवन
हरपल तड़पता है दिल कब होगा ये मिलन
दे दी सज़ा,कैसी मुझे
चांद सितारे भी ,फीके लगे
मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे
एक वारि आजाओ तो हृदय में बिठाऊंगी
भावना से तुझको अपनी रूह में बसाउंगी
मेरा ये जीवन है बस तेरा
समर्पित है तुझको सब कुछ मेरा
मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे
मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे
राह निहारे ये नयन,जी ना लगे
राह निहारे ये नयन,जी ना लगे
भावार्थ-
यह एक भक्ति गीत है जो भगवान कृष्ण की महिमा और उनके प्रति प्रेम का वर्णन करता है। इसमें भगवान कृष्ण को साँवरे कहा गया है और उनकी अनुपस्थिति में जीवन की कठिनाइयों का वर्णन किया गया है।
गीत में आगे कहा गया है कि भगवान कृष्ण के बिना जीवन अधूरा है और उनकी प्रीत और मित्रता के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है। इसमें भगवान कृष्ण को दिल की सरगम और गीत कहा गया है, जो जीवन को अर्थपूर्ण बनाते हैं।
गीत में आगे कहा गया है कि भगवान कृष्ण की अनुपस्थिति में जीवन रूखा और अधूरा है, और उनके बिना जीवन की सांसें बावरिया हो जाती हैं। इसमें भगवान कृष्ण से अनुरोध किया गया है कि वे आकर अपनी बाँसुरिया से जीवन को अर्थपूर्ण बनाएं।
गीत में आगे कहा गया है कि भगवान कृष्ण के बिना जीवन की कोई खुशी नहीं है, और उनकी अनुपस्थिति में जीवन की सारी चीजें फीकी लगती हैं। इसमें भगवान कृष्ण से अनुरोध किया गया है कि वे आकर अपने प्रेमी को अपने हृदय में बसाएं और उनका जीवन समर्पित करें।