श्याम चूड़ी बेचने आया | Shyam Chudi Bechne Aaya
हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण को प्रेम, करुणा, और ज्ञान के अवतार के रूप में पूजा जाता है। उनके भजन करने से व्यक्ति को कई लाभ होते हैं:
धार्मिक महत्व
1. पापों का नाश: भगवान कृष्ण को पापों का नाश करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है, इसलिए उनके भजन करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है।
2. मोक्ष की प्राप्ति: भगवान कृष्ण को मोक्ष के देवता के रूप में पूजा जाता है, इसलिए उनके भजन करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. सुख और समृद्धि: भगवान कृष्ण को सुख और समृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है, इसलिए उनके भजन करने से व्यक्ति को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
आध्यात्मिक महत्व
1. आत्म-शांति: भगवान कृष्ण के भजन करने से व्यक्ति को आत्म-शांति की प्राप्ति होती है।
2. मानसिक शांति: भगवान कृष्ण के भजन करने से व्यक्ति को मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
3. आध्यात्मिक विकास: भगवान कृष्ण के भजन करने से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है।
सामाजिक महत्व
1. सामाजिक एकता: भगवान कृष्ण के भजन करने से सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलता है।
2. सामाजिक सौहार्द: भगवान कृष्ण के भजन करने से सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा मिलता है।
3. सामाजिक समरसता: भगवान कृष्ण के भजन करने से सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिलता है।
इस प्रकार, कृष्ण भजन का महत्व बहुत अधिक है, और यह व्यक्ति के जीवन में कई लाभ प्रदान करता है
छलिया का भेस बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
झोली कंधे धरी, उस में चूड़ी भरी।
गलिओं में चोर मचाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
राधा ने सुनी, ललिता से कही।
मोहन को तरुंत बुलाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
चूड़ी लाल नहीं पहनू, चूड़ी हरी नहीं पहनू।
मुझे श्याम रंग है भाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
राधा पहनन लगी श्याम पहनाने लगे।
राधा ने हाथ बढाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
राधे कहने लगी, तुम हो छलिया बढे।
धीरे से हाथ दबाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
इस भजन के मुख्य भावार्थ हैं:
1. भगवान कृष्ण और राधा का प्रेम: इसमें भगवान कृष्ण और राधा के बीच के प्रेम और संवाद का वर्णन किया गया है।
2. भगवान कृष्ण की चतुराई: इसमें भगवान कृष्ण की चतुराई और उनके द्वारा राधा के साथ किये गए संवाद का वर्णन किया गया है।
3. राधा की भक्ति: इसमें राधा की भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति और प्रेम का वर्णन किया गया है।
4. प्रेम और हास्य का संवाद: इसमें भगवान कृष्ण और राधा के बीच में प्रेम और हास्य का संवाद का वर्णन किया गया है
समीक्षा-
यह एक भक्ति गीत है जो भगवान कृष्ण और राधा के बीच के प्रेम और संवाद का वर्णन करता है। इसमें भगवान कृष्ण ने मनहारी का भेस बनाया है और राधा के पास चूड़ी बेचने आये हैं।
गीत में आगे कहा गया है कि राधा ने भगवान कृष्ण को पहचान लिया है और उनके साथ प्रेम और हास्य का संवाद किया है। इसमें राधा ने भगवान कृष्ण से कहा है कि वह लाल और हरी चूड़ी नहीं पहनेगी, क्योंकि उसे श्याम रंग पसंद है।
गीत में आगे कहा गया है कि भगवान कृष्ण और राधा के बीच में प्रेम और हास्य का संवाद होता है, जिसमें वे एक दूसरे के साथ खेलते हैं और प्रेम करते हैं।