इस भजन में भगवान श्याम (कृष्ण) के प्रति प्रेम और आकर्षण की भावना को व्यक्त किया गया है। यह भजन भगवान श्याम की महिमा और उनके प्रेम को व्यक्त करता है।
इस भजन के मुख्य भावार्थ हैं:
1. प्रेम और आकर्षण: इस भजन में भगवान श्याम के प्रति प्रेम और आकर्षण की भावना को व्यक्त किया गया है।
2. आध्यात्मिक प्रेम: यह भजन आध्यात्मिक प्रेम की भावना को व्यक्त करता है, जो कि भगवान श्याम के प्रति समर्पण और भक्ति को दर्शाता है।
3. भगवान की महिमा: इस भजन में भगवान श्याम की महिमा और उनके प्रेम को व्यक्त किया गया है।
4. आत्म-समर्पण: यह भजन आत्म-समर्पण की भावना को व्यक्त करता है, जो कि भगवान श्याम के चरणों में समर्पण को दर्शाता है।
इस प्रकार, मेरा दिल करता है श्याम को, मैं घर पे ले आऊं भजन का भावार्थ बहुत ही सुंदर और गहरा है, जो कि भगवान श्याम के प्रति प्रेम और आकर्षण की भावना को व्यक्त करता है
ये देख तमाशा जग का,
भीतर से दुख पाऊं,
मेरा दिल करता है श्याम को,
मैं घर पे ले आऊं,
मेरा दिल करता है श्याम को,
मैं घर पे ले आऊं ॥
तुझे अपने पास बिठाके,
रख लूं मैं तुम्हे छिपा के,
मतलब से भरी निगाहें,
ना देखे नजर उठाके,
बस तू हो मैं हूं बाबा,
मैं भजन तेरे गाऊं,
मेरा दिल करता है श्याम को,
मैं घर पे ले आऊं ॥
जो चमत्कार को तेरे,
ये नमस्कार करते है,
व्यापार करे वो बाबा,
नहीं तुमसे प्यार करते है,
में सेवा करूंगा तेरी,
तुमसे ना कुछ चाहूँ,
मेरा दिल करता है श्याम को,
मैं घर पे ले आऊं ॥
तू देना छोड़ दे बाबा,
ना भेज तू खर्चा घर का,
आते है लोट कर कितने,
फिर देख नजारा दर का,
हो जाओ ‘सचिन’ के बाबा,
कुछ ऐसा कर जाऊं,
मेरा दिल करता है श्याम को,
मैं घर पे ले आऊं ॥
ये देख तमाशा जग का,
भीतर से दुख पाऊं,
मेरा दिल करता है श्याम को,
मैं घर पे ले आऊं,
मेरा दिल करता है श्याम को,
मैं घर पे ले आऊं ॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें