मंगलवार, 17 दिसंबर 2024

मुझे अपनी शरण में || jeewan de ke jaal bichhaya



मुझे अपनी शरण में ले लो राम, ले लो राम!
लोचन मन में जगह न हो तो
जुगल चरण में ले लो राम, ले लो राम!
जीवन देके जाल बिछाया
रच के माया नाच नचया
चिन्ता मेरी तभी मिटेगी
जब चिन्तन में ले लो राम, ले लो राम!
मुझे अपनी शरण में ले लो राम!

तू ने लाखोँ पापी तारे
मेरी बारी बाजी हारे, बाजी हारे
मेरे पास न पुण्य की पूँजी
पद पूजन में ले लो राम, ले लो राम!
मुझे अपनी शरण में ले लो राम!
राम हे राम, राम हे राम
दर दर भटकूँ घर घर अटकूँ
कहाँ कहाँ अपना सर पटकूँ
इस जीवन में मिलो न तुम तो राम, हे राम!
इस जीवन में मिलो न तुम तो,
मुझे मरण में ले लो राम, ले लो राम!

मुझे अपनी शरण में ले लो राम, ले लो राम!
लोचन मन में जगह न हो तो
जुगल चरण में ले लो राम, ले लो राम!




भावार्थ-

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान राम की शरण में जाने और उनकी कृपा प्राप्त करने की भावना को व्यक्त करता है। इसमें कवि भगवान राम से कहता है कि वह उसे अपनी शरण में ले ले, क्योंकि वह अपने जीवन में बहुत परेशानियों का सामना कर रहा है।

गीत में आगे कहा गया है कि कवि के पास पुण्य की पूँजी नहीं है, और वह भगवान राम की शरण में जाने के लिए तैयार है। वह भगवान राम से कहता है कि वह उसे अपने चरणों में ले ले, और उसकी चिंता को दूर करे।

गीत में आगे कहा गया है कि कवि भगवान राम की शरण में जाने के लिए तैयार है, और वह अपने जीवन में भगवान राम को पाने के लिए उत्सुक है। वह भगवान राम से कहता है कि वह उसे अपनी शरण में ले ले, और उसकी आत्मा को शांति प्रदान करे।

इस गीत के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान राम की शरण में जाना: इसमें भगवान राम की शरण में जाने और उनकी कृपा प्राप्त करने की भावना को व्यक्त किया गया है।
2. चिंता और परेशानी: इसमें कवि की चिंता और परेशानी को व्यक्त किया गया है, और भगवान राम से उनकी चिंता को दूर करने की प्रार्थना की गई है।
3. भगवान राम की कृपा: इसमें भगवान राम की कृपा और उनकी शरण में जाने के लाभों को व्यक्त किया गया है।
4. आत्म-समर्पण: इसमें कवि का आत्म-समर्पण और भगवान राम की शरण में जाने की भावना को व्यक्त किया गया है।

इस प्रकार, यह गीत भगवान राम की शरण में जाने और उनकी कृपा प्राप्त करने की भावना को व्यक्त करता है, और कवि की चिंता और परेशानी को दूर करने की प्रार्थना करता है

कोई टिप्पणी नहीं:

आ लौट के आजा हनुमान तुम्हे श्री राम बुलाते है|| Lakshmanke bacha le pran

इस गीत के मुख्य भावार्थ हैं: 1. भगवान हनुमान की महिमा: इसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है। 2. भगवान हनुमान की भक...