भजन में आगे कहा गया है कि भगवान कृष्ण गंगा-जमुना के तीर पर विराजमान हैं, और उनकी बंसी की धुन पर नाचते हैं। इसमें भगवान कृष्ण के सुंदर रूप का वर्णन किया गया है, जिसमें उनके मोर मुकुट, पीताम्बर, और कुण्डलों का उल्लेख किया गया है।
इस भजन के मुख्य भावार्थ हैं:
1. गंगा-जमुना की महिमा: इसमें गंगा-जमुना के पवित्र जल को निर्मल और शीतल बताया गया है।
2. भगवान कृष्ण की महिमा: इसमें भगवान कृष्ण के सुंदर रूप का वर्णन किया गया है।
3. भक्ति और समर्पण: इसमें भगवान कृष्ण के चरणों में समर्पण और भक्ति की भावना को व्यक्त किया गया है।
4. आध्यात्मिक शांति: इसमें कहा गया है कि गंगा-जमुना के तीर पर भगवान कृष्ण के दर्शन से आध्यात्मिक शांति और सुकून प्राप्त होता है।
इस प्रकार, यह भजन भगवान कृष्ण की महिमा और गंगा-जमुना के तीर्थ स्थल की सुंदरता को व्यक्त करता है, और भगवान कृष्ण के चरणों में समर्पण और भक्ति की भावना को दर्शाता है
चलो मन गंगा जमुना तीर,चलो मन गंगा जमुना तीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
गंगा जमुना निर्मल पानी,
गंगा जमुना निर्मल पानी,
गंगा जमुना निर्मल पानी,
शीतल होत शरीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
बंसी बजावत नाचत कान्हा,
संग लिये बलबीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे,
कुण्डल झलकत हीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर,
चरण कमल पर शीश,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
चलो मन गंगा-जमुना तीर,
गंगा जमना निरमल पाणी
शीतल होत शरीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
गंगा जमुना निर्मल पानी,
गंगा जमुना निर्मल पानी,
गंगा जमुना निर्मल पानी,
शीतल होत शरीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
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