मंगलवार, 24 दिसंबर 2024

आ लौट के आजा हनुमान तुम्हे श्री राम बुलाते है|| Lakshmanke bacha le pran

इस गीत के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान हनुमान की महिमा: इसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है।
2. भगवान हनुमान की भक्ति: इसमें भगवान हनुमान की भक्ति और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है।
3. भगवान राम की प्रार्थना: इसमें भगवान राम की प्रार्थना और भगवान हनुमान से अनुरोध का वर्णन किया गया है।
4. भगवान हनुमान की महिमा: इसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है


आ लौट के आजा हनुमान तुम्हे श्री राम बुलाते है

लक्ष्मण के बचा ले तू प्राण
तुम्हे श्री राम बुलाते है
आ लौट के आजा हनुमान
तुम्हे श्री राम बुलाते है

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन करता है। इसमें भगवान हनुमान से अनुरोध किया गया है कि वे लौटकर आएं और लक्ष्मण के प्राण बचाएं।

गए पवन सूत लाने संजीवन
अब तक क्यों नही आये
सेनापति सुग्रीव पुकारे
नर बानर घबराये
सब लोग भये सुनसान
तुम्हे श्री राम बुलाते है
आ लौट के आजा हनुमान
तुम्हे श्री राम बुलाते है

कभी तडपते कभी बिलखते
जीभर के प्रभु रोते
आये लखन तुम
अपनी माँ के हो इकलौते बेटे
यु रुदन करत है महान
तुम्हे श्री राम बुलाते है
आ लौट के आजा हनुमान
तुम्हे श्री राम बुलाते है

बीत गयी सब रैन
घडी रही ना एक पल भी बाकि
देख देख के राह तुम्हारी
बैरन अंखिया तांकि
कहि उदय ना हो जाये घात
तुम्हे श्री राम बुलाते है
आ लौट के आजा हनुमान
तुम्हे श्री राम बुलाते है

रात समय हनुमान संजीवन
ले सेना में आये झूमर लाली
धन्य बजरंगी लक्ष्मण प्राण बचाए
तब जाग उठे बलवान
तुम्हे श्री राम बुलाते है
आ लौट के आजा हनुमान
तुम्हे श्री राम बुलाते है

आ लौट के आजा हनुमान
तुम्हे श्री राम बुलाते है
लक्ष्मण के बचा ले तू प्राण
तुम्हे श्री राम बुलाते है
आ लौट के आजा हनुमान
तुम्हे श्री राम बुलाते है




भावार्थ -  

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन करता है। इसमें भगवान हनुमान से अनुरोध किया गया है कि वे लौटकर आएं और लक्ष्मण के प्राण बचाएं।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान हनुमान गए थे पवन सूत लाने संजीवन, लेकिन अब तक वे नहीं आए हैं। इसमें भगवान हनुमान से अनुरोध किया गया है कि वे जल्दी लौटकर आएं और लक्ष्मण के प्राण बचाएं।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान राम लक्ष्मण के लिए रोते हैं और भगवान हनुमान से अनुरोध करते हैं कि वे लौटकर आएं और लक्ष्मण के प्राण बचाएं। इसमें भगवान हनुमान की भक्ति और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान हनुमान ने संजीवन लेकर लक्ष्मण के प्राण बचाए और भगवान राम की प्रार्थना पूरी हुई। इसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है।

इस गीत के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान हनुमान की महिमा: इसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है।
2. भगवान हनुमान की भक्ति: इसमें भगवान हनुमान की भक्ति और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है।
3. भगवान राम की प्रार्थना: इसमें भगवान राम की प्रार्थना और भगवान हनुमान से अनुरोध का वर्णन किया गया है।
4. भगवान हनुमान की महिमा: इसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है
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सोमवार, 23 दिसंबर 2024

भक्ति के रंग में रंगे, हनुमान नज़र आये||फ़िल्मी तर्ज - आये हो मेरी जिंदगी में तुम बहार बनके ||Hanuman Bhajan

 




इस भजन  के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान हनुमान की महिमा: इसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है।
2. भगवान हनुमान की वीरता: इसमें भगवान हनुमान की वीरता और उनकी भक्ति के कारण उन्हें सियाराम के दर्शन होने का वर्णन किया गया है।
3. भगवान हनुमान की मित्रता: इसमें भगवान हनुमान की मित्रता और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है।
4. भगवान हनुमान की भक्ति: इसमें भगवान हनुमान की भक्ति और उनकी वीरता का वर्णन किया गया है
  

भक्ति के रंग में रंगे, हनुमान नज़र आये
चीर दिया सीना... सियाराम नजर आए
भक्ति के रंग में रंगे, हनुमान नज़र आये
रावण के बोल तीखे, हनुमत को नही भाए
चीर दिया सीना... सियाराम नजर आए
भक्ति के रंग में रंगे, हनुमान नज़र आये

सुग्रीव के संग वन में, हनुमान जी मिले थे
यारी के फूल मन मे, यही से ही खिले थे
बने पक्के यार दोनों... दुनिया मे अमर पाए
चीर दिया सीना... सियाराम नजर आए
भक्ति के रंग में रंगे, हनुमान नज़र आये

रावण के वश से सींता,हनुमान छुड़ा लाये
लक्ष्मण को लगी शक्ति.श्री राम जी घबराए
वो पहाड़ उठा लाये भक्त वीर कहलाये
चीर दिया सीना... सियाराम नजर आए
भक्ति के रंग में रंगे, हनुमान नज़र आये

भावार्थ 

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन करता है। इसमें भगवान हनुमान की वीरता और उनकी भक्ति के कारण उन्हें सियाराम के दर्शन होने का वर्णन किया गया है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान हनुमान ने रावण के बोलों को नहीं सहा और अपना सीना चीर दिया, जिससे सियाराम उनके सामने प्रकट हुए। इसमें भगवान हनुमान की वीरता और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान हनुमान ने सुग्रीव के साथ वन में मिलकर यारी के फूल खिलाए और दोनों पक्के यार बन गए। इसमें भगवान हनुमान की मित्रता और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान हनुमान ने रावण के वश से सीता को छुड़ा लाया और लक्ष्मण को शक्ति लगी, जिससे भगवान राम घबरा गए और भगवान हनुमान ने पहाड़ उठा लाया। इसमें भगवान हनुमान की वीरता और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है।
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भोले के हाथों में, है भक्तो की डोर || Bhole ke hath me he bhakton ki dor


इस भजन के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान शिव की महिमा: इसमें भगवान शिव की महिमा और उनके प्रति भक्ति का वर्णन किया गया है।
2. भगवान शिव की कृपा: इसमें भगवान शिव की कृपा और उनके प्रति समर्पण का वर्णन किया गया है।
3. भगवान शिव के प्रति भक्ति: इसमें भगवान शिव के प्रति भक्ति करने से जीवन के गम और दुःख कम हो जाते हैं।
4. भगवान शिव की डोरी: इसमें भगवान शिव की डोरी से बंधकर हमें मुसीबत से निकाला जाता है और हमें उनकी कृपा पर भरोसा रखना चाहिए।

भोले के हाथों में, है भक्तो की डोर,

किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर,

भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर......


मर्जी है इसकी हमको, जैसे नचाए,
जितनी जरुरत उतना, जोर लगाए,
ये चाहे जितनी खींचे, हम काहे मचाए शोर,
किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर.....

भोले तुम्हारे जब से, हम हो गए है,
गम जिंदगानी के, कम हो गए है,
बंधकर तेरी डोरी से, हम नाचे जैसे मोर,
किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर.....

खिंच खिंच डोरी जो, संभाला ना होता,
हमको मुसीबत से, निकाला ना होता,
ये चाहे जितना खींचे, हम खींचते इसकी ओर,
किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर.....

दास का टूटे कैसे, भक्तो से नाता,
डोर से बंधा है तेरे, प्रेमी का धागा,
तू रख इसपे भरोसा, ये डोर नहीं कमजोर,
किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर......
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 भावार्थ-  

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान शिव की महिमा और उनके प्रति भक्ति का वर्णन करता है। इसमें भगवान शिव को भोले कहा गया है और उनके हाथों में भक्तों की डोरी का वर्णन किया गया है।
गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव की मर्जी है कि वे भक्तों को कैसे नचाएं, और वे जितनी जरूरत होती है, उतना जोर लगाते हैं। इसमें भगवान शिव की कृपा और उनके प्रति समर्पण का वर्णन किया गया है।
गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव के प्रति भक्ति करने से जीवन के गम और दुःख कम हो जाते हैं, और भगवान शिव की डोरी से बंधकर हम उनके प्रेम में नाचते हैं। इसमें भगवान शिव की महिमा और उनके प्रति प्रेम का वर्णन किया गया है।
गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव की डोरी से बंधकर हमें मुसीबत से निकाला जाता है, और हमें उनकी कृपा पर भरोसा रखना चाहिए। इसमें भगवान शिव की कृपा और उनके प्रति समर्पण का वर्णन किया गया है।
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मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे भजन ||फ़िल्मी तर्ज - जिये तो जिये कैसे बिन आपके||Mere sanware tere bin

 

मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे भजन 



इस भजन  के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान कृष्ण की महिमा: इसमें भगवान कृष्ण की महिमा और उनके प्रति प्रेम का वर्णन किया गया है।
2. भगवान कृष्ण की अनुपस्थिति: इसमें भगवान कृष्ण की अनुपस्थिति में जीवन की कठिनाइयों का वर्णन किया गया है।
3. भगवान कृष्ण की प्रीत और मित्रता: इसमें भगवान कृष्ण की प्रीत और मित्रता के महत्व का वर्णन किया गया है।
4. भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण: इसमें भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण और उनके हृदय में बसने की अनुरोध की जा रही है

मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे
राह निहारे ये नयन,जी ना लगे

तुम्ही मेरी प्रीत कान्हा,तुम्ही मेरे मीत हो
तुम्ही मेरे दिल की सरगम,तुम्ही मेरे गीत हो
जीवन की सांसें बनी हैं बावरिया
आके सुनाजा इनको बाँसुरिया
मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे

रूखा लगे,बिना तेरे अब तो श्याम ये जीवन
हरपल तड़पता है दिल कब होगा ये मिलन
दे दी सज़ा,कैसी मुझे
चांद सितारे भी ,फीके लगे
मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे

एक वारि आजाओ तो हृदय में बिठाऊंगी
भावना से तुझको अपनी रूह में बसाउंगी
मेरा ये जीवन है बस तेरा

समर्पित है तुझको सब कुछ मेरा
मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे

मेरे साँवरे तेरे बिन जी ना लगे
राह निहारे ये नयन,जी ना लगे

भावार्थ-

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान कृष्ण की महिमा और उनके प्रति प्रेम का वर्णन करता है। इसमें भगवान कृष्ण को साँवरे कहा गया है और उनकी अनुपस्थिति में जीवन की कठिनाइयों का वर्णन किया गया है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान कृष्ण के बिना जीवन अधूरा है और उनकी प्रीत और मित्रता के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है। इसमें भगवान कृष्ण को दिल की सरगम और गीत कहा गया है, जो जीवन को अर्थपूर्ण बनाते हैं।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान कृष्ण की अनुपस्थिति में जीवन रूखा और अधूरा है, और उनके बिना जीवन की सांसें बावरिया हो जाती हैं। इसमें भगवान कृष्ण से अनुरोध किया गया है कि वे आकर अपनी बाँसुरिया से जीवन को अर्थपूर्ण बनाएं।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान कृष्ण के बिना जीवन की कोई खुशी नहीं है, और उनकी अनुपस्थिति में जीवन की सारी चीजें फीकी लगती हैं। इसमें भगवान कृष्ण से अनुरोध किया गया है कि वे आकर अपने प्रेमी को अपने हृदय में बसाएं और उनका जीवन समर्पित करें।



बोल बम बम प्यारे बोल बम बम ||Baba Mahakal sare har lenge gum



इस भजन के मुख्य भावार्थ हैं:


1. भगवान शिव और भगवान गणेश की महिमा: इसमें भगवान शिव और भगवान गणेश की महिमा और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है।
2. भगवान शिव और भगवान गणेश की कृपा: इसमें भगवान शिव और भगवान गणेश की कृपा की अनुरोध की जा रही है।
3. भगवान शिव की महिमा: इसमें भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है और उनकी कृपा की अनुरोध की जा रही है।
4. भगवान गणेश की महिमा: इसमें भगवान गणेश की महिमा का वर्णन किया गया है और उनकी कृपा की अनुरोध की जा रही है

बोल बम बम प्यारे बोल बम बम
बम बम बम बम बम बम बम बम,
जिंदगी में कुछ भी रहेगा नही गम,
बोल बम बम प्यारे बोल बम बम ॥
बड़े ही दयालु भोले कष्ट हर लेते है,
धन और माल से खजाना भर देते है,
चाहे बोलो हर हर चाहे बम बम,
बोल बम बम प्यारे बोल बम बम ॥
मेरे महांकाल की तो दुनिया दीवानी है,
भगतो को वर देते बड़े वरदानी है,
बाबा महाकाल सारे हर लेंगे गम,
बोल बम बम प्यारे बोल बम बम ॥
दास गणेश तेरे चरणों का दीवाना है,
भोले तेरे नाम का सहारा मुझे पाना है,
हर पल हर छण जपूँ बम बम,
बोल बम बम प्यारे बोल बम बम ॥

भावार्थ -

भावार्थ -

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान शिव और भगवान गणेश की महिमा और उनकी कृपा का वर्णन करता है। इसमें भगवान शिव और भगवान गणेश को पुकारा जा रहा है और उनकी कृपा की अनुरोध की जा रही है।


गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव और भगवान गणेश बड़े दयालु और भोले हैं, और वे हमारे कष्टों को हर लेते हैं और हमें धन और माल से भर देते हैं। इसमें भगवान शिव और भगवान गणेश की महिमा का वर्णन किया गया है और उनकी कृपा की अनुरोध की जा रही है।


गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव को महांकाल कहा जाता है और वे भगतों को वर देते हैं और बड़े वरदानी हैं। इसमें भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है और उनकी कृपा की अनुरोध की जा रही है।


गीत में आगे कहा गया है कि भगवान गणेश के चरणों का दीवाना है और उनके नाम का सहारा पाना चाहता है। इसमें भगवान गणेश की महिमा का वर्णन किया गया है और उनकी कृपा की अनुरोध की जा रही है।




मूषक सवारी लेके आना गणराजा ||फ़िल्मी तर्ज – कौन दिशा में ले के चला ||Mushak Sawari leke aana ganraja



मूषक सवारी लेके आना गणराजा 




इस भजन  के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान गणेश की महिमा: इसमें भगवान गणेश की महिमा और उनके आगमन का स्वागत किया गया है।
2. भगवान गणेश की पूजा: इसमें भगवान गणेश की पूजा और भोग लगाने का वर्णन किया गया है।
3. भगवान गणेश की कृपा: इसमें भगवान गणेश की कृपा और उनके द्वारा सुख और दुःख को हराने का वर्णन किया गया है।
4. भगवान गणेश के साथ जुड़ना: इसमें भगवान गणेश के साथ जुड़ने और उनके चरणों में ठिकाना बनाने का वर्णन किया गया है

मूषक सवारी ले के,
आना गणराजा,
रिद्धि सिद्धि को ले आना,
आके भोग लगाना,
मेरे आंगन में, आंगन में,
मुषक सवारी लेके,
आना गणराजा ॥

लाल सिंदूर का टिका लगा के,
पान और फूल चड़ाउ,
मोदक लडूवन से भर थाली,
तुम को भोग लगाउ,
देख तुम्हारी महिमा निराली,
गाउं बारम्बार हो,
कारज मेरे सब,
शुभ कर जाना,
रिद्धि सिद्धि को ले आना,
आके भोग लगाना,
मेरे आंगन में, आंगन में,
मुषक सवारी लेके,
आना गणराजा ॥

सुख करता तुम,
दुःख के हरता,
सबके प्यारे गणेश हो,
प्यार दुलार हमेशा रहे प्रभु,
ना हो कोई कलेश हो,
सब की नैया पार किये हो,
मुझको भी दो तार,
चरणों में तेरे प्रभु मेरा ठिकाना,
रिद्धि सिद्धि को ले आना,
आके भोग लगाना,
मेरे आंगन में, आंगन में,
मुषक सवारी लेके,
आना गणराजा ॥


मूषक सवारी लेके,
आना गणराजा,
रिद्धि सिद्धि को ले आना,
आके भोग लगाना,
मेरे आंगन में, आंगन में,
मुषक सवारी लेके,
आना गणराजा ॥

भावार्थ-

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान गणेश की महिमा और उनके आगमन का स्वागत करता है। इसमें भगवान गणेश को मूषक सवारी पर आने के लिए आमंत्रित किया गया है और उन्हें रिद्धि-सिद्धि के साथ आने के लिए कहा गया है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान गणेश को लाल सिंदूर का टिका लगाकर, पान और फूल चढ़ाकर, और मोदक लडूवन से भरे थाली से भोग लगाया जाएगा। इसमें भगवान गणेश की महिमा का वर्णन किया गया है और उन्हें सबके प्यारे गणेश कहा गया है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान गणेश सुख करते हैं, दुःख को हरते हैं, और सबके प्यारे हैं। इसमें भगवान गणेश से अनुरोध किया गया है कि वे हमेशा प्यार और दुलार से हमारे साथ रहें और हमारे जीवन में कोई कलेश न हो।


रविवार, 22 दिसंबर 2024

हे गजानन आपकी दरकार है |तर्ज-दिल के अरमा आंसुओं में बह गए|Ganesh BHajan


हिंदू धर्म में गणेश जी को ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। गणेश भजन करने से व्यक्ति को कई लाभ होते हैं:

धार्मिक महत्व

1. ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति: गणेश जी को ज्ञान और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है, इसलिए गणेश भजन करने से व्यक्ति को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
2. समृद्धि और सुख: गणेश जी को समृद्धि और सुख के देवता के रूप में भी पूजा जाता है, इसलिए गणेश भजन करने से व्यक्ति को समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।
3. विघ्नों का नाश: गणेश जी को विघ्नों का नाश करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है, इसलिए गणेश भजन करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले विघ्नों का नाश होता है।

आध्यात्मिक महत्व

1. आत्म-शांति: गणेश भजन करने से व्यक्ति को आत्म-शांति की प्राप्ति होती है।
2. मानसिक शांति: गणेश भजन करने से व्यक्ति को मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
3. आध्यात्मिक विकास: गणेश भजन करने से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है।

सामाजिक महत्व

1. सामाजिक एकता: गणेश भजन करने से सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलता है।
2. सामाजिक सौहार्द: गणेश भजन करने से सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा मिलता है।
3. सामाजिक समरसता: गणेश भजन करने से सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिलता है।
इस प्रकार, गणेश भजन का महत्व बहुत अधिक है, और यह व्यक्ति के जीवन में कई लाभ प्रदान करता है

हे गजानन आपकी दरकार है 

हे गजानन आपकी दरकार है,
श्याम प्यारे का सजा दरबार है,
श्याम प्यारे का सजा दरबार है,
हे गजानन आपकी दरकार है॥


शुभ घडी आई सुहानी आइये,
रिद्धि सिद्धि साथ अपने लाइये,
आपकी महिमा तो अपरम्पार है,
श्याम प्यारे का सजा दरबार है,
हे गजानन आपकी दरकार है॥


सबसे पहले आपकी सेवा करे,
चरणों में सर को झुका वंदन करे,
पहनिए फूलों के लाए हार है,
श्याम प्यारे का सजा दरबार है,
हे गजानन आपकी दरकार है॥


देवताओं का लगा जमघट यहाँ,
ये बताए आप अब तक है कहाँ,
हम सभी को आपका इंतजार है,
श्याम प्यारे का सजा दरबार है,
हे गजानन आपकी दरकार है॥


श्याम भक्तो की विनय सुन लीजिये,
‘बिन्नू’ की अर्जी है दर्शन दीजिये,
आपसे उत्सव की जय जयकार है,
श्याम प्यारे का सजा दरबार है,
हे गजानन आपकी दरकार है॥


हे गजानन आपकी दरकार है,
श्याम प्यारे का सजा दरबार है,
श्याम प्यारे का सजा दरबार है,
हे गजानन आपकी दरकार है॥
गणेश भजन का महत्व बहुत अधिक है!

समीक्षा-  

यह एक भक्ति भजन  है जो भगवान गणेश की महिमा और उनके आगमन का स्वागत करता है। इसमें भगवान गणेश को गजानन के रूप में संबोधित किया गया है और उनके आगमन के लिए तैयारी की जा रही है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान गणेश के आगमन से श्याम प्यारे का सजा दरबार सज जाता है, और उनकी महिमा अपरम्पार है। इसमें भगवान गणेश से अनुरोध किया गया है कि वे अपने भक्तों को दर्शन दें और उनकी सेवा करें।

गीत में आगे कहा गया है कि देवताओं का जमघट लग गया है और वे भगवान गणेश के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसमें भगवान गणेश से अनुरोध किया गया है कि वे अपने भक्तों की विनय सुनें और उन्हें दर्शन दें।

इस गीत के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान गणेश की महिमा: इसमें भगवान गणेश की महिमा और उनके आगमन का स्वागत किया गया है।
2. भगवान गणेश के आगमन का महत्व: इसमें भगवान गणेश के आगमन के महत्व का वर्णन किया गया है।
3. भगवान गणेश की सेवा: इसमें भगवान गणेश की सेवा और उनके चरणों में नमस्कार करने का महत्व बताया गया है।
4. भगवान गणेश के दर्शन का महत्व: इसमें भगवान गणेश के दर्शन के महत्व का वर्णन किया गया है


गजानंद महाराज पधारो || तर्ज- फुल तुम्हे भेजा है ख़त मे




इस भजन  के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान गणेश की महिमा: इसमें भगवान गणेश की महिमा और उनके आगमन का स्वागत किया गया है।
2. भगवान गणेश की कृपा: इसमें भगवान गणेश की कृपा और उनके आगमन के महत्व का वर्णन किया गया है।
3. भगवान गणेश की पूजा: इसमें भगवान गणेश की पूजा और उनके चरणों में नमस्कार करने का महत्व बताया गया है।
4. भगवान गणेश के आगमन का आनंद: इसमें भगवान गणेश के आगमन से प्राप्त होने वाले आनंद और हर्ष का वर्णन किया गया है

गजानंद महाराज पधारो कीर्तन की तैयारी है

गजानंद महाराज पधारो,
कीर्तन की तैयारी है।

– श्लोक –
प्रथम मनाये गणेश के,
ध्याऊ शारदा मात,
मात पिता गुरु प्रभु चरण मे,
नित्य नमाऊ माथ।


गजानंद महाराज पधारो,
कीर्तन की तैयारी है,
आओ आओ बेगा आओ,
चाव दरस को भारी है ॥


थे आवो ज़द काम बणेला,
था पर म्हारी बाजी है,
रणत भंवर गढ़ वाला सुणलो,
चिन्ता म्हाने लागि है,
देर करो मत ना तरसाओ,
चरणा अरज ये म्हारी है,
गजानन्द महाराज पधारो ॥


रीद्धी सिद्धी संग आओ विनायक,
देवों दरस थारा भगता ने,
भोग लगावा ढोक लगावा,
पुष्प चढ़ावा चरणा मे,
गजानंद थारा हाथा मे,
अब तो लाज हमारी है,
गजानन्द महाराज पधारो ॥


भगता की तो विनती सुनली,
शिव सूत प्यारो आयो है,
जय जयकार करो गणपति की,
म्हारो मन हर्शायो है,
बरसेंगा अब रस कीर्तन मे,
भगतौ महिमा भारी है,
गजानन्द महाराज पधारो ॥


गजानंद महाराज पधारों,
कीर्तन की तैयारी है,
आओ आओ बेगा आओ,
चाव दरस को भारी है ॥

भावार्थ-

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान गणेश की महिमा और उनके आगमन का स्वागत करता है। इसमें भगवान गणेश को गजानंद महाराज के रूप में संबोधित किया गया है और उनके आगमन के लिए तैयारी की जा रही है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान गणेश की कृपा से ही हमें ज्ञान और बुद्धि प्राप्त होती है, और हमें उनके चरणों में नमस्कार करना चाहिए। इसमें भगवान गणेश को विनायक के रूप में भी संबोधित किया गया है और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान गणेश के आगमन से हमें आनंद और हर्ष प्राप्त होता है, और हमें उनकी महिमा का गुणगान करना चाहिए। इसमें भगवान गणेश की कृपा और उनके आगमन के महत्व का वर्णन किया गया है।


भोले जी के दिल की धड़कन ||Bholeji ki dil ki dhadkan



भोले जी के दिल की धड़कन 





भोले जी के दिल की धड़कन ले गई गौरा पार्वती....

गौरा जी ने हंसकर पूछा जटा में तेरे क्या है जी,
जटा में मेरे बह रही गंगा को नहा लो पार्वती,
भोले जी के दिल की धड़कन ले गई गौरा पार्वती....


गौरा जी ने हंसकर पूछा माथे पर तेरे क्या है जी,
माथे पर मेरे चंदा बिराजे दर्शन कर लो पार्वती,
भोले जी के दिल की धड़कन ले गई गौरा पार्वती....


गौरा जी ने हंसकर पूछा गले में तेरे क्या है जी,
गले में मेरे कंठी माला खूब पहन लो पार्वती,
भोले जी के दिल की धड़कन ले गई गौरा पार्वती....


गौरा जी ने हंसकर पूछा हाथों में तेरे क्या है जी,
हाथों में मेरे डमरू बस्ता खूब नाच लो पार्वती,
भोले जी के दिल की धड़कन ले गई गौरा पार्वती....


गौरा जी ने हंसकर पूछा गोद में तेरे क्या है जी,
गोद में मेरे गणपति लाला को खिला लो पार्वती,
भोले जी के दिल की धड़कन ले गई गौरा पार्वती....


गौरा जी ने हंसकर पूछा संग में तेरे क्या है जी,
संग में मेरे नंदी विराजे खूब घूम लो पार्वती,
भोले जी के दिल की धड़कन ले गई गौरा पार्वती....

भावार्थ- 

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान शिव और पार्वती के बीच के प्रेम और संवाद का वर्णन करता है। इसमें पार्वती भगवान शिव से उनके शरीर के विभिन्न अंगों में क्या है, इसके बारे में पूछती हैं और भगवान शिव उनको बताते हैं कि उनके जटा में गंगा बह रही है, उनके माथे पर चंदा विराजे हुए हैं, उनके गले में कंठी माला है, उनके हाथों में डमरू है, उनकी गोद में गणपति लाला हैं और उनके संग में नंदी विराजे हुए हैं।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव के दिल की धड़कन पार्वती ने ले ली है, जो कि उनके प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। इसमें भगवान शिव और पार्वती के बीच के प्रेम और संवाद का वर्णन किया गया है, जो कि हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पहलू है।

इस गीत के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान शिव और पार्वती का प्रेम: इसमें भगवान शिव और पार्वती के बीच के प्रेम और स्नेह का वर्णन किया गया है।
2. भगवान शिव की महिमा: इसमें भगवान शिव की महिमा और उनके शरीर के विभिन्न अंगों में विराजे हुए देवताओं का वर्णन किया गया है।
3. पार्वती की भक्ति: इसमें पार्वती की भगवान शिव के प्रति भक्ति और स्नेह का वर्णन किया गया है।
4. प्रेम और संवाद: इसमें भगवान शिव और पार्वती के बीच के प्रेम और संवाद का वर्णन किया गया है, जो कि हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पहलू है

शनिवार, 21 दिसंबर 2024

सुबह सुबह ले शिव का नाम|| shiv ayenge tere kaam

इस भजन  के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान शिव की महिमा: इसमें भगवान शिव की महिमा और उनके नाम का महत्व बताया गया है।
2. भगवान शिव की कृपा: इसमें कहा गया है कि भगवान शिव हमारे काम में आ सकते हैं और हमें सुख और आराम प्रदान कर सकते हैं।
3. भगवान शिव के चरणों में मिलना: इसमें कहा गया है कि भगवान शिव के चरणों में मिलने से सारे तीरथ और चारो धाम की यात्रा का फल मिलता है।
4. भगवान शिव की भक्ति: इसमें कहा गया है कि भगवान शिव की भक्ति करने से हमें सुख और आराम मिलता है

सबह सुबह ले शिव का नाम, कर ले बन्दे यह शुभ काम ।

सुबह सुबह ले शिव का नाम, शिव आयेंगे तेरे काम ॥
खुद को राख लपेटे फिरते, औरों को देते धन धाम ।
देवो के हित विष पी डाला, नील कंठ को कोटि प्रणाम ॥
सुबह सुबह ले शिव का नाम, शिव आयेंगे तेरे काम ॥
शिव के चरणों में मिलते सारी तीरथ चारो धाम ।
करनी का सुख तेरे हाथों, शिव के हाथों में परिणाम ॥
सुबह सुबह ले शिव का नाम, शिव आयेंगे तेरे काम ॥
शिव के रहते कैसी चिंता, साथ रहे प्रभु आठों याम ।
शिव को भजले सुख पायेगा, मन को आएगा आराम ॥
सुबह सुबह ले शिव का नाम, शिव आयेंगे तेरे काम ॥



भावार्थ- 

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान शिव की महिमा और उनके नाम का महत्व बताता है। इसमें कहा गया है कि सुबह सुबह भगवान शिव का नाम लेना एक शुभ काम है, और इससे भगवान शिव हमारे काम में आ सकते हैं।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव ने अपने शरीर पर राख लपेट रखी है, लेकिन वे दूसरों को धन और धाम देते हैं। इसमें कहा गया है कि भगवान शिव ने देवताओं के हित के लिए विष पी लिया था, और उनके नीले कंठ को कोटि प्रणाम करते हैं।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव के चरणों में मिलने से सारे तीरथ और चारो धाम की यात्रा का फल मिलता है। इसमें कहा गया है कि भगवान शिव के हाथों में परिणाम होता है, और हमारे करने का सुख हमारे हाथों में होता है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान शिव के रहते हमें कोई चिंता नहीं होती है, और वे हमारे साथ आठों याम में रहते हैं। इसमें कहा गया है कि भगवान शिव को भजले से हमें सुख मिलता है, और हमारे मन को आराम मिलता है।


गुरुदेव मेरी नैया उस पार लगा देना ||Tum dev men pujari

इस भजन के मुख्य भावार्थ हैं:

1. गुरु की महिमा: इसमें गुरु की महिमा और उनकी सहायता का वर्णन किया गया है।
2. गुरु-शिष्य संबंध: इसमें गुरु-शिष्य संबंध का वर्णन किया गया है, जिसमें गुरु देव हैं और शिष्य पुजारी है।
3. गुरु की सहायता: इसमें कहा गया है कि गुरु की सहायता से ही जीवन के संकटों को पार किया जा सकता है।
4. गुरु की दया: इसमें कहा गया है कि गुरु की दया और सहायता से ही जीवन के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सकता है।

इस प्रकार, यह भजन  गुरु की महिमा और उनकी सहायता का वर्णन करता है, और गुरु-शिष्य संबंध का महत्व बताता है

गुरुदेव मेरी नैया उस पार लगा देना 




गुरुदेव मेरी नैया,
उस पार लगा देना,
अब तक तो निभाया है,
आगे भी निभा लेना,
गुरुदेव मेरी नईया,
उस पार लगा देना ॥


तुम देव मैं पुजारी,
तुम इष्ट मैं उपासक,
ये बात अगर सच है,
सच कर के दिखा देना,
गुरुदेव मेरी नईया,
उस पार लगा देना ॥


दल बल के साथ माया,
घेरे जो मुझे आकर,
तुम देखते ना रहना,
गर आ के बचा लेना,
गुरुदेव मेरी नईया,
उस पार लगा देना ॥


मैं मोह झंझटो में,
तुमको ना भूल जाऊँ,
हे नाथ दया करना,
मुझको ना भुला देना,
गुरुदेव मेरी नईया,
उस पार लगा देना ॥


गुरुदेव मेरी नैया,
उस पार लगा देना,
अब तक तो निभाया है,
आगे भी निभा लेना,
गुरुदेव मेरी नईया,
उस पार लगा देना ॥

भावार्थ- 

यह एक भक्ति भजन  है जो गुरु की महिमा और उनकी सहायता का वर्णन करता है। इसमें गुरु को नैया के रूप में वर्णित किया गया है, जो जीवन के सागर को पार करने में सहायता करता है।

भजन में आगे कहा गया है कि गुरु देव हैं और भक्त पुजारी है, और यह बात अगर सच है तो गुरु को इसे सच कर के दिखा देना चाहिए। इसमें कहा गया है कि गुरु की सहायता से ही जीवन के सागर को पार किया जा सकता है।

भजन  में आगे कहा गया है कि जब माया और दल बल के साथ आकर भक्त को घेरते हैं, तो गुरु को आकर बचा लेना चाहिए। इसमें कहा गया है कि गुरु की दया और सहायता से ही जीवन के संकटों को पार किया जा सकता है।

भजन  में आगे कहा गया है कि भक्त मोह और झंझटों में फंस जाता है, लेकिन गुरु को उसे न भूलना चाहिए और उसकी सहायता करनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि गुरु की सहायता से ही जीवन के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सकता है।


लाल देह और लाल है चोला मुखड़ा भोला भाला||Lal deh aur lal hai chola

हनुमान जी के भजन का महत्व बहुत अधिक है!

हनुमान जी को भगवान राम के सबसे वफादार और शक्तिशाली भक्त के रूप में पूजा जाता है। उनके भजन करने से व्यक्ति को कई लाभ होते हैं:

धार्मिक महत्व

1. पापों का नाश: हनुमान जी को पापों का नाश करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है, इसलिए उनके भजन करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है।
2. सुख और समृद्धि: हनुमान जी को सुख और समृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है, इसलिए उनके भजन करने से व्यक्ति को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
3. रक्षा और सुरक्षा: हनुमान जी को रक्षा और सुरक्षा के देवता के रूप में पूजा जाता है, इसलिए उनके भजन करने से व्यक्ति को रक्षा और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।

आध्यात्मिक महत्व

1. आत्म-शांति: हनुमान जी के भजन करने से व्यक्ति को आत्म-शांति की प्राप्ति होती है।
2. मानसिक शांति: हनुमान जी के भजन करने से व्यक्ति को मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
3. आध्यात्मिक विकास: हनुमान जी के भजन करने से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है।

सामाजिक महत्व


1. सामाजिक एकता: हनुमान जी के भजन करने से सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलता है।
2. सामाजिक सौहार्द: हनुमान जी के भजन करने से सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा मिलता है।
3. सामाजिक समरसता: हनुमान जी के भजन करने से सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिलता है।







फ़िल्मी तर्ज - मिलो न तुम तो हम घबरायें **
लाल देह और लाल है चोला
मुखड़ा भोला भाला
ऐसे बजरंग बाला
मात अंजनी का लाला
**
शीश मुकुट है गदा हाथ में
और गले में माला
ऐसे बजरंग बाला.
मात अंजनी का लाला
**
बजरंगबली के डर से
भूत प्रेत सब भाग जाते हैं
इनकी कृपा हो जाये
सोये भाग फिर से जाग जाते है
दूर करे सारा अँधियारा
लाये नया सवेरा
ऐसे बजरंग बाला
**
करके छलावा रावन
ले गया था सीताजी को साथ रे
ला के खबरिया हनुमंत
बने रामजी के प्यारे दास रे
सोच समझ कर लंकापुरी को
तहस नहस कर डाला
ऐसे बजरंग बाला
**
जब जब भी संकट में थे
परम कृपालु श्री रामजी
उसी राम नाम सहारे
हनुमान सवारे सारे काम जी
भक्त और भगवान का देखो
बंधन खूब निराला
ऐसे बजरंग बाला

भावार्थ-  

यह एक भक्ति भजन  है जो भगवान हनुमान की महिमा और शक्ति का वर्णन करता है। इसमें भगवान हनुमान को बजरंग बाला और मात अंजनी का लाला कहा गया है, जो कि उनकी शक्ति और साहस को दर्शाता है।

भजन  में आगे कहा गया है कि भगवान हनुमान के डर से भूत प्रेत सब भाग जाते हैं, और उनकी कृपा से सोये भाग फिर से जाग जाते हैं। इसमें कहा गया है कि भगवान हनुमान सारा अंधियारा दूर करे और नया सवेरा लाये।

भजन  में आगे कहा गया है कि भगवान हनुमान ने रावन के छलावे को रोका और सीताजी को बचाया। इसमें कहा गया है कि भगवान हनुमान ने लंकापुरी को तहस नहस कर डाला और भगवान राम की कृपा से सारे काम संभाले।

इस भजन  के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान हनुमान की महिमा: इसमें भगवान हनुमान की शक्ति और साहस का वर्णन किया गया है।
2. भगवान राम की कृपा: इसमें भगवान राम की कृपा और भगवान हनुमान के प्रति उनके प्रेम का वर्णन किया गया है।
3. सीताजी का बचाव: इसमें भगवान हनुमान के द्वारा सीताजी के बचाव का वर्णन किया गया है।
4. भगवान हनुमान की शक्ति: इसमें भगवान हनुमान की शक्ति और साहस का वर्णन किया गया है, जिससे उन्होंने लंकापुरी को तहस नहस कर डाला।

इस प्रकार, यह भजन  भगवान हनुमान की महिमा और शक्ति का वर्णन करता है, और भगवान राम की कृपा और भगवान हनुमान के प्रति उनके प्रेम का वर्णन करता है

तू प्यार का सागर है || Tu pyar ka sagar hai

इस गीत के मुख्य भावार्थ हैं:

1. भगवान की महिमा: इसमें भगवान की महिमा और उनके प्यार का वर्णन किया गया है।
2. भगवान की कृपा: इसमें भगवान की कृपा और उनके प्यार का महत्व बताया गया है।
3. जीवन का उद्देश्य: इसमें कहा गया है कि जीवन का उद्देश्य भगवान की सेवा और पूजा करना है।
4. भगवान की साथी: इसमें कहा गया है कि भगवान हमारे जीवन के हर पल में हमारे साथ हैं।

इस प्रकार, यह गीत भगवान की महिमा और उनके प्यार का वर्णन करता है, और हमें भगवान की सेवा और पूजा करने के लिए प्रेरित करता है

तू प्यार का सागर है तेरी इक बूँद के प्यासे हम



तू प्यार का सागर है तेरी इक बूँद के प्यासे हम
लौटा जो दिया तुमने चले जायेंगे जहां से हम
तू प्यार का सागर...


घायल मन का पागल पंछी उड़ने को बेक़रार
पंख हैं कोमल, आँख है धुँधली, जाना है सागर पार
अब तू ही इसे समझा, राह भूले थे कहाँ से हम
तू प्यार का सागर...


इधर झूम के गाये ज़िंदगी, उधर है मौत खड़ी
कोई क्या जाने कहाँ है सीमा, उलझन आन पड़ी
कानों में ज़रा कह दे, कि आएँ कौन दिशा से हम
तू प्यार का सागर...


सौंप दे अपने जीवन की तू डोर प्रभु के हाथ
फिर आएगी जब जब मुश्किल होगा वो तेरे साथ
करले इतना तू यकीन तुझे होगा ना कोई गम
तू प्यार का सागर....


मन मर्जी की करता फिरता नही तुझे एहसास
तेरे कर्म का लेखा जोखा सब हैं उसके पास
काटेगा वो जो बोया याद कर बंदे अपने करम
तू प्यार का सागर ...


आना जाना खेल विधि का सदा रहा न कोय
होनी पे कोई जोर चले ना वही करे सो होय
हो आखिरी तेरा सफर सबकी आंखे हो यहां पे नम
तू प्यार का सागर ...

भावार्थ 

यह एक भक्ति गीत है जो भगवान की महिमा और उनके प्यार का वर्णन करता है। इसमें भगवान को प्यार का सागर कहा गया है, जो अपने भक्तों को प्यार और सहारा प्रदान करता है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान की कृपा से ही हमारे जीवन में सार्थकता और अर्थ आता है। इसमें कहा गया है कि भगवान के प्यार के बिना हमारे जीवन में कुछ भी नहीं है, और हमारे जीवन का उद्देश्य भगवान की सेवा और पूजा करना है।

गीत में आगे कहा गया है कि भगवान हमारे जीवन के हर पल में हमारे साथ हैं, और हमारे जीवन के हर निर्णय में हमारी सहायता करते हैं। इसमें कहा गया है कि भगवान हमारे जीवन के हर सुख और दुख में हमारे साथ हैं, और हमारे जीवन को सार्थक बनाने में हमारी सहायता करते हैं।


आ लौट के आजा हनुमान तुम्हे श्री राम बुलाते है|| Lakshmanke bacha le pran

इस गीत के मुख्य भावार्थ हैं: 1. भगवान हनुमान की महिमा: इसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है। 2. भगवान हनुमान की भक...